हमारे प्रिय आत्मन
समय विभीषिका को देखते हुए, मानवता को बचाने के लिए राष्ट्र को हम सभी की आवश्यकता है। परम पूज्य गुरुदेव के निर्देशानुसार हम सभी को राष्ट्र हित मे सहयोग देना चाहिए।
जब भी कभी ऐसा समय आया तब तब गुरुदेव ने हम सभी से सामूहिक जप, रामायण पाठ इत्यादि कराए।
सविनय निवेदन है कि अपनी सामर्थ्य के हिसाब से सभी लोग जब भी समय मिले तब तब गायत्री मंत्र या मृत्युंजय मंत्र का जप कीजिये और उसे राष्ट्र हित मे गुरुदेव के चरणों मे समर्पित कीजिये।
गुरुदेव के द्वारा बताए सम्पुट लगाकर सभी साधक नियमित सुंदर कांड, कृश्किन्धा कांड कीजिये।
1. दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज काहू नहीं व्यापा।
2. मोहि सुधारिहि सो सब भाती। जासु कृपा नहीं कृपा अघाती।
जो साधक जैसा चाहे अपनी श्रद्धा के हिसाब से जैसा चाहे वैसा कर सकता है, जैसा चाहे, जिसकी चाहे उसकी साधना कर सकता है बस गुरुदेव के चरणों मे अर्पित करता चले।
श्री हनुमान जी का बजरंग बाण।
श्री हनुमान बाहुक।
दुर्गा जी के 32 नाम।
दुर्गा सप्तशती का अध्याय - 4
श्री गणेश जी के 12 नाम।
शिव तांडव स्तोत्र, रुद्राष्टकम इत्यादि
राष्ट्र हित मे जो भी जैसा भी अपना योगदान देना चाहे अवश्य दे। गायत्री परिवार की यही परंपरा है, कृपा करके इसे आगे बढ़ाए ऐसी प्रार्थना है।
समय विभीषिका को देखते हुए, मानवता को बचाने के लिए राष्ट्र को हम सभी की आवश्यकता है। परम पूज्य गुरुदेव के निर्देशानुसार हम सभी को राष्ट्र हित मे सहयोग देना चाहिए।
जब भी कभी ऐसा समय आया तब तब गुरुदेव ने हम सभी से सामूहिक जप, रामायण पाठ इत्यादि कराए।
सविनय निवेदन है कि अपनी सामर्थ्य के हिसाब से सभी लोग जब भी समय मिले तब तब गायत्री मंत्र या मृत्युंजय मंत्र का जप कीजिये और उसे राष्ट्र हित मे गुरुदेव के चरणों मे समर्पित कीजिये।
गुरुदेव के द्वारा बताए सम्पुट लगाकर सभी साधक नियमित सुंदर कांड, कृश्किन्धा कांड कीजिये।
1. दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज काहू नहीं व्यापा।
2. मोहि सुधारिहि सो सब भाती। जासु कृपा नहीं कृपा अघाती।
जो साधक जैसा चाहे अपनी श्रद्धा के हिसाब से जैसा चाहे वैसा कर सकता है, जैसा चाहे, जिसकी चाहे उसकी साधना कर सकता है बस गुरुदेव के चरणों मे अर्पित करता चले।
श्री हनुमान जी का बजरंग बाण।
श्री हनुमान बाहुक।
दुर्गा जी के 32 नाम।
दुर्गा सप्तशती का अध्याय - 4
श्री गणेश जी के 12 नाम।
शिव तांडव स्तोत्र, रुद्राष्टकम इत्यादि
राष्ट्र हित मे जो भी जैसा भी अपना योगदान देना चाहे अवश्य दे। गायत्री परिवार की यही परंपरा है, कृपा करके इसे आगे बढ़ाए ऐसी प्रार्थना है।
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